Rekha mishra

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लेखनी कहानी -30-Mar-2022

                चाय  की  टपरी 
पुराने दोस्तों की टोली 
और सर्दी का मौसम।
चाय की टपरी और 
और बातों की रिमझिम।।

हम सभी अच्छे घरों की लड़कियां थी, सभ्य परिवार लेकिन कॉलेज में सचमुच कुछ ऐसी आदतें भी पाल ली के अब सोच कर ही हंसी आ जाती है हम चारों दोस्तों के सब्जेक्ट कुछ ऐसे थे कि एक घण्टे का ब्रेक साथ में मिल ही जाता था, वो होता था दिन का 2 से 3 का समय तो शुरुआत में हम कॉलेज के गार्डन में बैठा करते और हम साथ में अपना लंच बॉक्स भी लाते, मैं तो नाश्ता करके जाती थी। लेकिन बाकी 3 सुबह जल्दी जोगरोफ़ी की क्लास लेने आते तो वो नाश्ता नहीं कर पाते थे, तो में भी लंच बॉक्स इसलिए लाती के साथ में बिना लंच बॉक्स अच्छा नहीं लगता, अब हमने धीरे धीरे कॉलेज से बाहर जाना भी शुरू कर दिया था। पानी पूरी और चाय गर्मियों में पानी पूरी और सर्दियों में चाय, वैसे हमारे साथ श्वेता उसकी  मम्मी इतना अच्छा खाना बनती स्पेशली आंवले का आचार के हम भूखे ना होने पर भी खा जाते, लेकिन उसके बाद भी हमने बाहर जाकर खाने का शौक लग ही गया ।तो जितनी बार भी चाय पीते हैं या पानी पुरी खाते है कमबख्त दोस्त बहुत याद आते हैं। हालत ये हो गई थी कि चाय वाला देखते चाय के कुल्हड़ ले आता, लेकिन सिर्फ सर्दियों में साल के बाकी महीने प्यारी पानी पुरी के नाम ही थे। आज भी कॉलेज के दिन भूले नहीं भूल पाते उस रस्ते से गुजरना मानो जन्नत की गालियाँ थी, बस अब सब बदल गया है अब चाय की टपरी पर चाय तो पी लेते हैं कभी कभी पर वो जो दोस्तों के साथ वाला माहौल था कभी लौट कर नहीं आएगा। और हाँ इत्तेफाक से ये तस्वीर भी असली है। 

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3 Comments

Shweta jain

30-Mar-2022 11:26 PM

Wah

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Sachin dev

30-Mar-2022 10:00 PM

बहुत ही सुंदर

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Haaya meer

30-Mar-2022 05:28 PM

बहुत खूब

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